दिल के चंद एहसास
है तमन्ना आशिकी में, दिल लगाने की
बाहें दिलबर की हदों में, टूट जाने की।।
ये हया, ये शर्म, ये इंकार, सब इजहार है
तिश्नगी है, तन से, तन में, डूब जाने की।।
----विचार एवं शब्द-सृजन----
----By---
----Shashank मणि Yadava’सनम’----
---स्वलिखित एवं मौलिक रचना---
Sachin dev
13-Dec-2022 04:49 PM
Amazing
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